भाषा का निर्माण सेक्रेटरियट में नहीं होता, भाषा गढ़ी जाती है जनता की जिह्वा पर। - रामवृक्ष बेनीपुरी।
सीख (काव्य)  Click to print this content  
Author:हितेष पाल

अपने अपने दायरे रहना सीख लो
ज़रा सा क़ायदे में रहना सीख लो।
अभी तो क़ुदरत ने सिर्फ़ समझाया है
अपना असली रूप कहाँ दिखलाया है?
मनुष्य को अपना दायरा बताया है
फिर भी उसे कुछ समझ ना आया है।
क़ुदरत के दायरे का मज़ाक़ बनाया है
फिर कहता है क़ुदरत ने क़हर मचाया है।

-हितेष पाल
ई-मेल: hiteshpal7792@gmail.com

 

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